Wednesday 10 July 2013

बारी- विजयलक्ष्मी- अनु: सन्नी . एन. एम .

                                          बारी-विजयलक्ष्मी

Vijayalakshmi is an eminent Malayalam poet.  All the poetry collections of Vijayalakshmi in a single volume. Vijayalakshmiyute Kavithakal has all the poems from her collections Mrugasikshakan, Thachante Makal, Himasamadhi, Anthya Pralobhanam, Ottamanalthari, Andhya Kanyaka, Mazhaykkappuram etc.
                                      
  
अपमानित लाश ने मुझसे कहा 
देखा नहीं, मेरे हाथों में क्या पकडाया गया है?
नहीं, वह बन्दूक मेरा नहीं है . 
मेरे शरीर पर लगाया गया गोली के सिवा 
मैं नहीं जनता किसी गोली को .
डायरी की वह लिखावट मेरा नहीं है,
हिटलिस्ट बाद में जोड़ा गया है .
मारा गया तो सही है, लेकिन मैं बुद्धू  नहीं हूँ 
लेकिन 
मुझे देखना है 
हमरे नाम को हिटलिस्ट में दर्जाकर 
लिखे बिना अदृश्य हो गया 
वह नारकीय डायरी .

मृत्यु के बाद वहाँ पहुँचने पर समझ गया 
सडा , गला , सूखा और द्रवित 
लाशों ने कहा - 
उसके हाथों में पकडाया गया बंदूकों के बारें में,
उसके बाद फोटो लेकर प्रदर्शित कर 
उसे अपमानित करने के बारे में . 
काल्पनिक डायरियाँ 
उनके बारे में लिखे जाने के बारे में .
लाशें झूठ नहीं बतायेंगे।
हम हैं सत्य 
लेकिन लाशें क्या कर सकते हैं ?

कर सकते हैं 
दिन से बचाकर 
अख़बारों और समाचार पट्टियों में 
डिन्नर के बाद , आलसी मिनी स्क्रीन के साथ 
के प्राणहीन लेट को 
कई बार अपमानित करने पर भी 
रात्रि
सच्चाई की आईने में हमारा खून 
चुपचाप चमक उठेगा . 
सबेरे जागने वाले 
हरेक कानों के साथ होंठ लगाकर 
सूरज के उदित होने तक वह 
धीमे स्वर में वह इस प्रकार कहते रहेंगे 
"सोना मत 
अगला सूर्योदय 
आपकी बारी है ."



Sunday 7 July 2013

स्मारक - (मलयालम कविता का हिंदी अनुवाद)

                                     

                                         स्मारक   

                  (मलयालम  कविता का हिंदी अनुवाद) 

                                        Veerankutty

Veerankuttyis a Malayalam Poet and Asst.Professor in Dept of Malayalam Govt College Madappally. He was born in Narayamkulam in Vadakara in Kozhikode District, Kerala, India. Veerankutty worked as Head of Malayalam Dept at MEASS College Areacode


                                              tr. dr. sunny.nm 


मदार के बीज के  उड़न को 
एक विनम्र  परिश्रम के रूप में देखना है 
पंख नहीं 
देशांतर निषिद्ध है 
आसमान भी अपना नहीं है 
बीज को अपना बच्चा  समझ  कर 
गोदी में संभाल कर, फिर भी वह उड़ता है।

"वह देखते सपने के 
पेड़ की छाया में 
कल कोई विश्राम लेगा "
वाली कविता वह नहीं जनता है।
अज्ञान की भारहीनता में वह उड़ता है। 
उसे पंछी न बुलाने को 
हम जो करुणा दिखाता है 
उस से वह कुछ और दूर उड़ेगा।

विनीत, फिर भी जोशीला  उसका परिश्रम 
जहाँ गिरता है वहाँ 
एक स्मारक बनकर 
उग आयेगा 
चुपके से 
कल 
एक पेड़ .